तुलसी का इस्तेमाल, ह्रदय रोगियों और गंभीर बीमारी में होता है इसका इस्तेमाल - गंभीर बीमारियों का आयुर्वेदिक उपचार

क्यों होता है हृदयरोग संक्षिप्त परिचय
 हृदय रोगियों की संख्या हर दिन ,दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। लोग उपचार तो कर रहे है लेकिन पूर्ण रूप से स्वस्थ होने की संभावना उतनी नहीं है। कुछ लोगों को तो पता ही नहीं होता कि उन्हें यह बीमारी भी हुई है|हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों का संकरा और सख्त हो जाना ही हृदय रोग का कारण होता है। हृदय की मांसपेशियों को अपना कार्य करने के लिए शुद्ध रक्त की लगातार जरूरत होती है जिसकी आपूर्ति इन धमनियों के द्वारा ही होती है। धमनियों में संकीर्णता या आंशिक अवरोध उत्पन्न हो जाता है। (खासकर रक्त की धमनियों के भीतर चिकनाई की परत-दर-परत जमते जाने और धमनी का भीतरी व्यास के कम हो जाने के कारण उत्पन्न हो जाता है।)


हृदय संबंधी बीमारियों के लक्षण 
लक्षण:- दिल में तेज दर्द होने पर बेचैनी हो जाती है। हृदय में दर्द अचानक उठता हैं और बाएं कंधे तथा बाएं हाथ तक फैल जाता है। सांस फूलना, घबराहट बढ़ जाना, ठंडा पसीना आना तथा बेहोश हो जाना, जी मिचलाना, हाथ-पैर ठंडे पड़ना तथा नब्ज कमजोर मालूम पड़ना इस रोग के अन्य लक्षण हैं।

आयुर्वेदिक उपचार
 आयुर्वेदिक उपचार:- हालांकि चिकित्सक सलाह और परामर्श आवश्यक है समय-समय पर जांच और खानपान मैं नियमितता। हल्के-फुल्के एक्सरसाइज और थोड़ा सा व्यायाम इस रोग की सुधार में काफी सहायक सिद्ध होता है। लेकिन इसके अलावा आप कुछ अन्य चीजों का भी इस्तेमाल कर सकता है। जैसे तुलसी के चार पत्ते। तुलसी रक्त में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। अतः ह्रदय रोग में तुलसी अमृत समान है। ह्रदय रोगियों को नियमित रूप से सुबह -शाम 4 से 5 तुलसी के पत्ते का रस का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा भी अन्य घरेलू उपचार का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे जानने के लिए आप हमें जरूर फॉलो करें। हम अपने अगले आर्टिकल में आपको इस विषय में विस्तार में बताएंगे। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता फिर भी चिकित्सकीय  सलाह  अवश्य ले |
Aporv kishna
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