इंसानी मांस परोसने वाला रेस्टोरेंट
इस बात को सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, बाकायदा कुछ ऐसे लोगों ने सरकारी इजाजत भी ले रखी है जिसके दम पर वह इंसानी मांस भेज सकते हैं। वैसे तो इंसानों में अपने आप को सब दिखाने की होड़ लगी रहती है लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं हमारे आसपास होते रहती हैं तो यह सिद्ध करती है कि हम आज भी आदिमानव से कुछ आगे नहीं पहुंचे हैं। कुछ ऐसी घटनाएं हमारे आसपास घटती है जिसे देख कर हम सोच में पड़ जाते हैं क्या वाकई में इंसानी सभ्यता उन्नत हुई है या केवल आदिमानव ने आधुनिक कपड़े पहन लिया है। इंसानों और दैत्य को उनकी प्रवृत्ति अलग करती है, दुनिया में आज बहुत सारे लोग मांसाहारी है यह उन की खुराक है लेकिन इंसानों का मांस खाना राक्षसी प्रवृत्ति है, जिसे कोई भी सभ्य समाज स्वीकार नहीं कर सकता।
हम बात कर रहे हैं कुछ ऐसे ही सनकी लोगों की जिन्होंने बाकायदा सरकारी इजाजत भी ले रखी है। जिसके तहत मरे हुए इंसानों का मांस बेच और खा सकते हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं जापान की। अब इसे हैवानियत कहे या शौक, यह आप निर्णय करें। यहां की राजधानी टोक्यो में एक ऐसा रेस्टोरेंट खुला है जिसके बारे में जानकर पूरी दुनिया हैरान है। ऐसा रेस्टोरेंट जहां कानूनी तौर पर लोगों को इंसानों का मांस परोसा जाता है। इस रेस्टोरेंट ने जापानी लोगों की प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर इंसानी मांस परोसा जाता है। उनके साथ- साथ दुनिया भर के लोगों के लिए इसने अपने दरवाजे खोले हैं। यहां लोगों को इंसानी मांस दिया जाता है जिसकी मैन्यू के हिसाब से 100 से लेकर 1000 यूरो तक की कीमत है । 1200 यूएस डॉलर की सबसे महंगी इंसानी मांस का डिश यहां पर मिलता है। इस रेस्टोरेंट का नाम है " द रेसोटा ऑटोटो नो शोकु रयोहिं" जिसका मतलब होता है " एडिबल ब्रदर "।
बताया जाता है कि इंसानी मांस खाने में सूअर के मांस की तरह लगता है और इसे मसालों के साथ कुछ ऐसे पकाया जाता है कि इसका टेस्ट समझ में नहीं आता कि यह मांस किसका है। अब आपके मन में सवाल होगा कि यह मांस आता कहां से है, दरअसल जापान में लोग मरने से पहले ही अपने शरीर को रेस्टोरेंट के पास बेच देते हैं। जिसके लिए उन्हें 30000 यूरो दिए जाते हैं, जब उनकी मृत्यु हो जाती है तो यह शरीर रेस्टोरेंट की हो जाती है।
हमारी नजर में तो यह इंसानी नहीं बल्कि राक्षसी सभ्यता है। अन्य रोचक और मजेदार खबरों के लिए हमें जरूर फॉलो करें।
न्यूज़ कॉपीराइट Talkingstar1997
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